Dar Hai Yadi Gir Jane Ka To..Shikhar Tumhare Liye Nahin Hai |Motivational Poem by Kavi Sandeep Dwivedi

मिट्टी की परतों से पथरीले रास्तों से यदि जड़ें तुम्हारी घबराती हों हिम्मत नहीं जुटा पाती हों तो मेरे नाव पल्लव साथी, ये जगह तुम्हारे लिए नहीं है डर है यदि गिर जाने का तो, शिखर तुम्हारे लिए नहीं है।   मन को सुलझाने में ध्येय नया पाने में यदि अड़चन …

आलस तुमको ले डूबेगी |Eye Opening Poem for Students /Aspirants | Kavi Sandeep Dwivedi

आलस तुमको ले डूबेगी  सारी क्षमताओं को तुमने,  बैठे बैठे धूल किया ।  स्वप्न देखते समय बिताया,  लक्ष्य को कोसों दूर किया ।  इसी तरह यदि रहा अगर तो,  किस्मत हाथों में फूटेगी ।  आलस तुमको ले डूबेगी ।। नींद तुम्हारी खुलती कब है,  वरना कोई कमी नहीं है ।  सब यूं ही हाथ चाहते …