नई सुबह की प्रथम शाम है मन तेरा घबराएगा चिंता तुम्हें डुबाएगी साहस भी हाथ छुड़ाएगा यही समय है धीरज धरना सूरज आने वाला है रात के घेरे छंटने है उजियारा छाने वाला है। आंच तुम्हारे अंगों को झुलसाती और तपाती है मुश्किल होती सहने में सांस उलझती जाती है। यही समय है धीरज धर…