आइये, स्वागत है कवितायेँ पढ़ें भी और सुनें भी.. सब जाग रहे तू सोता रह यह कविता मैंने 2017 में लिखी थी। मैं तब कई दिनों से स्वास्थ्य को लेकर परेशान था।और बीस दिन तक बेडरेस्ट में रहा। अचानक से एक दिन अपने भीतर से मुझे लगा कि मैं बीस दिन से कर क्या रहा हूं लेटे ल…