आई आई टी, मुंबई  से गणित में मास्टर...इटली,ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी  में गणित के कई थ्योरम पर रिसर्च  और इन कई उपलब्धियों के बाद आकस्मिक परिवर्तन....सब छोड़कर गाँव की सेवा,भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज..

सामान्यतः हम यह कल्पना रखते हैं कि IIT जैसे तकनीकी संस्थान से ग्रेजुएट होने बाद हम किसी मल्टीनेशनल कंपनी में या किसी बिज़नेस में जुड़कर बहुत पैसा कमाते हैं और सफल गिने जाते  हैं..
दरअसल हमने ये धारणा ही विकसित कर ली है कि सफलता सिर्फ पैसे वाला होना है...
 और आज हम बात कर रहे हैं श्री शिवानन्द द्विवेदी जी की...जो हम सबके दृष्टिकोण से तो सफल नही हैं  लेकिन आज जब हम इनकी बात करेंगे तो सफलता का एक और पहलू भी शायद हम समझ पाएं..

परिचय 

श्री शिवानन्द द्विवेदी जी के गाँव का होने के नाते यह मेरा सौभाग्य रहा कि बड़ी आसानी से कई बार मिलना हो पाया..और उनके विषय में कुछ लिखने की अनुमति भी मिल पायी..हालाकि वो मना करते रहे लेकिन छोटे भाई की भी अपनी जिद थी ...
उनसे मैंने उंनका रिज्यूमे माँगा...हमें लगा वो कोई एक से दो पेज का होगा लेकिन जब उनका मेल आया और उनके रिसर्च एवं उपलब्धियों से भरे रिज्यूमे देखा.. सात से आठ पेज का.. तो मैं दंग रह गया ..जितना सोचा था उससे कहीं ज्यादा..मेरे भी मन में यही प्रश्न आया ...अजीब बात है इतनी उपलब्धियों के बाद सब छोडकर गाँव में..?क्यूंकि समाज सेवा को हम कोई तवज्जो नही देते यह काम हम उनका समझते हैं जिनके पास कुछ और काम न हो...
चलिए,पहले शिवानन्द जी का संक्षिप्त परिचय कर लेते हैं -
जन्मतिथि एवं स्थान - वर्तमान आयु लगभग 40 वर्ष..
                          मध्यप्रदेश में रीवा जिले के हिनौती के पास कैथा गाँव में..
 शिक्षा                 - B.Sc.(Mathematics) from Model Science College Rewa(mp)
                          M.Sc.(Dept. of Mathematics) from Indian Institues of                                        Technology,Bombey
 रिसर्च                        -  Dept. of Mathematics,Darmstadt University of Technology , Germany    
                                 Ulm University, Germany 
                                 University of Milan ,Italy    
                                 Attend Many National Participations.

ये तो कुछ शिवानन्द जी की शैक्षणिक योग्यता आधारित उपलब्धियां थी ..

 जब शिवानन्द जी से हमारी मुलाकात हुई..हमने बातों में कुछ प्रश्न किये जो शायद मेरे ही नही इन्हें लेकर हम सबके मन में हैं ..और उन्होंने बड़े सहज ढंग से उन्होंने इस सिलसिले को आगे बढने दिया...



1. इतना सब हासिल करने के बावजूद आप गाँव क्यूँ आए?

संदीप,सब कुछ छोड़ना और वापस गाँव आना ..इसमें मेरे यहां आने को लेकर बस इतनी बात है कि मुझे विदेशी कल्चर सूट नही करता था पसंद नही था ..सब होते हुए भी मैं भीतर से खुश नही था .. दूसरी बात ये कि बड़े समय के बाद  मेरा मन अपना गाँव घुमने का हुआ ..मेरी शुरुआती शिक्षा यहीं से हुई .. जब यहाँ आया तो जो भ्रष्टाचार देखा.. अन्याय,शोषण देखा..विकास की स्थिति समझी ..पशुओं गायों के साथ इतना बुरा व्यवहार देखा तो ये मुझे सहन नही हुआ ...   और मैंने विदेश में जहा भी मैं रहा वहां पशुओं के साथ व्यव्हार् ...खान पान ही मुझे बहुत अखरता था ..विचार किया और निर्णय लिया कि एक ये उत्तरदायित्व निभाने का प्रयास करूँगा शायद कुछ समाज के लिए कर सकूं..



2.आपका काफी विरोध हुआ लोगों ने कई बार आप पर हाथ भी उठाया ?

मैं कुछ नही कहना चाहता ..मुझे किसी से शिकायत भी नही है ..जो लोग मेरा उद्देश्य समझ सकते थे उन्होंने समझा..और बात यहाँ मेरा उद्देश्य समझने से ज्यादा ये समझने की थी महसूस करने की थी कि हम विचार करें की क्या गलत और सही हो रहा और मिलकर पहल करने का प्रयास करें ..बाकी कुछ लोगों को मैं गलत लगा तो उन्होंने अपनी समझ से प्रतिक्रया दी..लेकिन अब बात अलग है लोग साथ आ रहे हैं मुझे इसकी ख़ुशी है ..



3.वैसे आप राजनीति में आयें भैया..अच्छा प्रभाव पड़ेगा समाज में  ?

संदीप..मैं  राजनीति में आने के विरोध में नही हूँ क्योंकि शक्ति का पास होने से काम में तेजी आती है  लेकिन पक्ष में मैं केवल इस शर्त पर हूँ कि मुझे लोग सहयोग करें भ्रष्टाचार, अन्याय के विरुद्ध काम करने में..और लोग साथ रहें तो सेवा के लिए किसी पद की आवश्यकता भी नही है..लेकिन  उनके बिना साथ रहे मैं किसी पद के साथ न्याय नही कर पाउँगा..और मैं इस लांछन का भागी नही बनना चाहता...

4.आपने गायों पशुओं के लिए काफी काम किया..अवैध बाड़े तुडवाये..जंगलों घाटियों में गिरे फंसे पशुओं के लिए काम किया ..काफी चर्चित हैं आप ?मुझे ख़ुशी होती है ..इन मूक असहायों की मदद करना इनकी पीड़ा समझना और जितना कर पा रहा हूँ कर रहा हूँ.. करता रहूँगा..


5.लेकिन कहीं न कहीं आप समाज के बाकी मुद्दों से ध्यान हटा रहे हैं ?जैसे भ्रष्टाचार ,ये सब 

नही मेरा कहीं से भी ध्यान नही हटा है अगर कोई ऐसे मुद्दे लाकर आता है तो उसके लिए मैं लड़ता हूँ उसके साथ होता हूँ ..और जो भी लगता है करता हूँ ..
लेकिन मैंने कहा न संदीप.. लोगों के साथ हुए बिना प्रभावी रूप देना थोडा मुश्किल होता है..


7.आपके पास पैसे कहाँ से आते हैं..मेरा मतलब खर्च कहाँ से चलता है आपका ?

पैसे तो सीमित ही हैं संदीप ..थोड़ी मुश्किल है..लेकिन कुछ पैसे बचाए हैं मैंने उनसे चलता है और जब कहीं किसी के काम के लिए जाता हूँ तो पेट्रोल वगैरह वो लोग डाल देते हैं इस तरह से कुछ..और मेरा ज्यादा कोई खर्च नही है ..घर है मेरा.. खाना रहना हो ही जाता है ..बस चल जाता है इसी तरह..


शिवानन्द जी का  youtube चैनल भी है जिन पर आप उनके काम देख सकते हैं और ब्लॉग पर भी पढ़ सकते हैं 
जुड़ सकते हैं ..
https://www.youtube.com/channel/UCeeO0LieySujdB0TY6oHjLg


बातें तो बहुत हुई थी लेकिन ये कुछ प्रमुख अंश थे जो आपसे साझा किया.. 

मेरा उद्देश्य बस इतना था कि आप तक इनके विषय में पहुचाने का प्रयास करूँ ...
सबका जीवन लक्ष्य अलग अलग होता है कोई कुछ करके खुश होता है कोई कुछ ..
किसी को हम असफल नही कह सकते सब अपने लक्ष्य के लिए बढ़ रहे..लक्ष्य कैसा है ये विचार की बात है बस ..जैसा लक्ष्य वैसा प्रभाव..और उतना समय..!!
धन्यवाद 











                                  












6 Comments

  1. उनके बारे में जानने की लालसा अभी भी है, बस ऐसा लगता है कि अभी कुछ छूट रहा है जॉनने से, संतुष्ट नहीं हूं । ये बहुत अच्छा प्रयास है। धन्यवाद जयेष्ठ भ्राता श्री ।

    प्रणाम ।

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  2. निस्वार्थ भाव से समाज सेवा 🙏

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  3. वाह! ऐसा व्यक्ति पूरे रीवा जिले मे दूसरा नही मिलेगा,हम उनकी केवल सराहना नहीं करते उनका सहयोग भी करना चाहते हैं,और सभी को उनका सहयोग करना चाहिए, वो जो भी कर रहे हैं अपने लिये नहीं कर रहे वल्कि हमारे लिये कर रहे हैं...

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