जिंदा हैं तेरे लाल अभी by Kavi Sandeep Dwivedi : Salute to Indian Army : Repunlic Day Special
जिंदा हैं तेरे लाल अभी..
भारत माँ अपने हाथों में
यूँ ही जय ध्वज थामे रखना
तुझ पर न्योछावर होने को
सीना ताने तैयार यहाँ
हिम्मत किसकी जो छू भी दे
सीमा पर हूँ बन ढल अभी
भारत मां अपना दिल न दुखा
जिंदा हैं तेरे लाल अभी
तू गीत सुना मां वो जिसमे
वीरों की खुशबू आती है
गाते गाते जिनको अक्सर
तेरी आंखें भर आती हैं
हम उन्ही वीर के वंशज हैं
है वही जोश और प्यार अभी
भारत मां ...
मुझे बहती नदियाँ तेरे
उड़ते आँचल सी लगती है
इस मिटटी का हर कण जैसे
तेरे अंगों को रचती है
कितने ही तेरी गोदी में
हैं भगत सिंह आज़ाद अभी
भारत मां....
सीमा पर मेरा देख कहर
फिर देख ज़रा पीछे मुड़कर
खेतों में लहराती फसलें
आती होगी खुशबू उड़कर
हम चूम रहे मां अम्बर को
बाकी है और कमाल अभी
भारत मां...
kavi sandeep dwivedi
insta/twittter/kavi sandeep dwivedi
2 Comments
Sir
ReplyDeleteIf you have time than please read this poem and upload
जब नाव जल में छोड़ दी
तूफ़ान में ही मोड़ दी
दे दी चुनौती सिंधु को
फिर धार क्या मझधार क्या
कह मृत्यु को वरदान ही
मरना लिया जब ठान ही
फिर जीत क्या फिर हार क्या
जब छोड़ दी सुख की कामना
आरंभ कर दी साधना
संघर्ष पथ पर बढ़ चले
पिर फूल क्या अंगार क्या
संसार का पी पी गरल
जब कर लिया मन को सरल
भगवान शंकर हो गए
फिर राख क्या श्रृंगार क्या ।
I am waiting for listing this poem in your voice......
It is small Request sir......
I love this poem and also your reading action and voice.......
I really enjoyed your blog thanks for sharing.
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