जिंदा हैं तेरे लाल अभी.. 




भारत माँ अपने हाथों में 

यूँ ही जय ध्वज थामे रखना

तुझ पर न्योछावर होने को
सीना ताने तैयार यहाँ
हिम्मत किसकी जो छू  भी दे
सीमा पर हूँ बन ढल अभी
भारत मां अपना दिल न दुखा
जिंदा हैं तेरे लाल अभी 


तू गीत सुना मां वो जिसमे
वीरों की खुशबू आती है
गाते गाते जिनको अक्सर
तेरी आंखें भर आती हैं
हम उन्ही वीर के वंशज हैं
है वही जोश और प्यार अभी
भारत मां ...


मुझे बहती नदियाँ तेरे
उड़ते आँचल सी लगती है
इस मिटटी का हर कण जैसे
तेरे अंगों को रचती है
कितने ही तेरी गोदी में
हैं भगत सिंह आज़ाद अभी
भारत मां....


सीमा पर मेरा देख कहर
फिर देख ज़रा पीछे मुड़कर
खेतों में लहराती फसलें
आती होगी खुशबू उड़कर
हम चूम रहे मां अम्बर को
बाकी है और कमाल अभी
भारत मां...

kavi sandeep dwivedi

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2 Comments

  1. Sir
    If you have time than please read this poem and upload

    जब नाव जल में छोड़ दी
    तूफ़ान में ही मोड़ दी
    दे दी चुनौती सिंधु को
    फिर धार क्या मझधार क्या

    कह मृत्यु को वरदान ही
    मरना लिया जब ठान ही
    फिर जीत क्या फिर हार क्या

    जब छोड़ दी सुख की कामना
    आरंभ कर दी साधना
    संघर्ष पथ पर बढ़ चले
    पिर फूल क्या अंगार क्या

    संसार का पी पी गरल
    जब कर लिया मन को सरल
    भगवान शंकर हो गए
    फिर राख क्या श्रृंगार क्या ।

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