This Article i was written about Dec.2013 During Mechanical Enginnering .
 


"कितना जल्दी गुज़र गया ना समय..
बचपना था.. गलतियों की भरमार थी और कितना जल्दी हम गलतियों से सीख जाते थे..
और वो सीखें सारी जिंदगी से अपना रंग नही छोडती...
इस तरह बचपन में हासिल हुए संस्कार ताउम्र अपनी रौनक बनाए रखते हैं..
खैर.. समय के साथ हम उम्र के उस पड़ाव पर पहुच गए हैं जहां हम एक साथी चुनते हैं.. जीवन के हर मोड़ पर साथ देने वाली , खुशिया बिखेरने वाली ऐसा कोई हमसफ़र चाहते हैं .
और मेरा पूरा परिवार आपका बेसब्री से इंतजार कर रहा है और मेरे भी मन में आपको लेकर हजारों सपने उमड़ रहे हैं ..
देवी जी, यूं तो इसमें हमारी और आपकी, दोनों की ही भागीदारी खास होती है लेकिन फिर भी कहीं न कहीं पारी आपकी तरफ ज्यादा झुकती है क्यूंकि आप हमारे घर आने वाली हैं..

तो क्यूँ न प्यार और भरोसे की बुनियाद पर बनने वाले इस बंधन के लिए एक दुसरे से कुछ बातें कर लें....? जो मुझे लगता है कि हर किसी को करना चाहिए ताकि हम एक दूसरे को आसानी से समझ सकें..
यहाँ मेरी बातें ज्यादातर भावनाओं पर ही हैं क्यूंकि मुझे लगता है ये रिश्ता भावनाओं से ही होता है इसलिए इस बंधन के लिए सबसे पहले हमे अपनी भावनाओं को ही जांचना चाहिए ताकि पूरे समर्पण से इस बंधन को ताउम्र निभा सकें ...
देवी जी ,मुझे लगता है किसी में अपनी पसंद ढूढने से पहले हमें अपनी पसंद को परखना चाहिए कि वो पसंद किन गुणों को लेकर है आपकी कई पसंद.. एक पसंद के भीतर भी हो सकती है ..
किसी की खूबियों के साथ इस पर भी गौर जरुरी है कि आप उसके लिए कितनी खास हैं..
कोई आपकी कितनी केयर करेगा वो इस बात से बेहतर साबित होगा कि वो अभी अपने परिवार की कितनी केयर करता है..
देवी जी, अगर हम एक दूसरे की सुन सकते हैं ,समझ सकते हैं तो सोच के बीच सामंजस्य बनाया जा सकता है
ये तो है कि आदतें और हैसियत दोनों बनायी  भी जा सकती हैं लेकिन इस पर भी विचार कर लें कि न बदलने की स्थिति में भी क्या आप हमसे समझौता कर पाएंगी..?
शक्ल सूरत वही अच्छी होती है जिस पर संस्कारों की सजावट हो..
हमारे घर परिवार की पसंद एक लम्बे अनुभव के बाद तय होती है इसलिए घर परिवार की राय भी बहुत खास है कभी उनके अधिकार को मत छीनियेगा..
ये जरुर सोचिये कि मैं आपकी
जरूरतें पूरी कर सकता हूँ या नही लेकिन साथ ही यह भी सोचिये कि आप हमारी कितनी मदद कर सकती हैं..
सब हासिल करने की दौड़ इतनी जरुरी नही कि हमारा प्यार दांव पर लग जाय वरना कुछ हासिल हो न हो खुशियाँ हमेशा के लिए मुह मोड़ लेंगी..
अगर हम छोटी छोटी खुशिया भी साथ में मिलकर बांटेंगे तो प्यार तरक्की सब उम्र भर साथ रहेगी
देवी, हम कभी कोई ऐसी गलती ना करें जो हमारे प्यार को भरोसे को ठेस पहुंचाए वरना ऐसी गलतियाँ दोबारा प्यार और भरोसे को पनपने नही देती..
अपनी मर्यादों को संस्कृतियों को दांव पर लगाकर  खुलेपन में भागना ठीक वैसा ही  है जैसे अपना घर तोड़कर आसमान के नीचे रहना...
संस्कृतियाँ विकास में कभी आड़े नही आती
देवी सादगी हमारी जरूरतें कम करती है और खुशियाँ बढाती है..
घरों में परिवारों में छोटी छोटी बातें होना स्वाभाविक है इस पर खुद को सम्भालना मेल बनाये रखने की कोशिश आपकी काबिलियत है और जिम्मेदारी भी..
और देवी आपका हमारे घर में आने का निर्णय  सिर्फ यही ज़ाहिर करता है कि आप एक समाज एक परिवार के प्रति अपनी जिम्म्मेदारी  एक पत्नी बहू भाभी सभी रिश्तों के प्रति आपका फर्ज़ समझती हैं
 और ये सब मुझ पर भी लागू होता है..
और देवी मोटे शब्दों में कहूँ तो मेरे लिए आपका इतना ही फर्ज काफी है जितना हमें शादी के मन्त्रों में बतायी जाती हैं..
और मैं भी वादा करता हूँ मैं अपने फर्ज से कभी पीछे नही हटूंगा ...
........हम और आप एक दुसरे के जीवन साथी बनने जा रहे हैं और मैं बेहद खुश हूँ..

संभव है बहुत सी बातें अनुभव के अभाव में छूट गयी होंगी लेकिन फिर भी हम आप, दोनों ही इस बंधन को इसकी पवित्रता इसकी सीमाओं को
बगैर कहे भी समझ सकते हैं.... कर्तव्यबोध आतंरिक समझ होती है...
और देवी यदि एक दुसरे के लिए हम ये नही कर पा रहे.. तो अपनी खुशियाँ दांव पर लगाना सही नही है..
 आप वही चुनें जहाँ आप पूरे दिल से खुश रह सकें ...
 बाकी समझने के लिए तो एक पल भी काफी है और फिर सारी जिंदगी भी कम..
उम्मीद है आप ये बातें समझेंगी...
आपकी खुशियों भरी जिंदगी के लिए दुआओं के साथ..
नमस्कार .."

This Article i was written about Dec.2013 During Mechanical Enginnering .
 

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