Farewell Touching Poem
आ गया वो मोड़ जिसमे,अलविदा कहना पड़ रहा ...

यह मेरी लिखी उन कविताओं में है जो मुझे अक्सर भावुक कर देती हैं ..

मैं अपनी कॉलेज में पहुँच जाता हूँ...एक दो किताबों वाला बैग टाँगे हुए..

खूब मस्ती होती है.. जीवन भर की योजनायें बनती हैं.. दोस्तों के साथ गपशप होती है और फिर इसी बीच अचानक याद आ जाता है इन बेहतरीन पलों से विदाई का...और बस, मन थम जाता है.. सच कहता हूँ जिसने भी स्कूल और कॉलेज का समय जिया है.. मैं कहूँगा उसने एक यादगार ज़िन्दगी जी है...

आइये ,चलिए इन पंक्तियों के  साथ 
मैं अपनी कॉलेज में और आप अपनी.. 

मेरे यारों ! ये साथ का पल, 
अब एक दास्ताँ में बदल रहा 
आ गया वो मोड़ जिसमें, 
अलविदा कहना पड़ रहा ..

वो क्लास और कैंटीन वाली, 
कहानी होगी ख़तम अब 
अब अलग होंगी मंजिलें, 
और अलग होगा रास्ता 
कैम्पस की वो सीढियाँ, 
जमती जहाँ थी महफिलें 
वो सीढ़ियों का स्टेज भी, 
खाली करना पड़ रहा.. 
आ गया वो मोड़ जिसमें, 
अलविदा कहना पड़ रहा ...

सुनिए
बच्चे ही थे न..जब आये थे 
ये पल भी कैसे ढल गये 
सेमेस्टर के एग्ज़ाम सेशनल 
सब कितने जल्दी हो गये 
एक पल में अरसा गुजरने का 
वो दौर भी अब थम रहा.. 
आ गया वो मोड़ जिसमें, 
अलविदा कहना पड़ रहा ...

मेरे यारों ठीक से देख लो 
कहीं कुछ छूटा न हो 
कहीं तुम्हारी वजह से 
कोई दिल रूठा न हो 
भूल कर सब रंजिशे 
गले मिल लो, 
फिर से मिलने का वादा कर लो.. 
क्योंकि जा रहा है वक्त जो 
वो दोबारा आने से रहा 
आ गया वो मोड़ जिसमें, 
अलविदा कहना पड़ रहा..

   -Kavi Sandeep Dwivedi

मेरी कॉलेज देखेंगे?

धन्यवाद्

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