जय माँ गंगा, जय बाबा विश्वनाथ 

दिव्य महाकुम्भ का अवसर था ..दुनिया में कौन ऐसा होगा जो उसके काल खंड में आने वाले इस तारने वाले पर्व में गंगा स्नान नही करना चाहेगा ..मुझे भी जाना था 
ये बात जब बनारस के एक साहित्य प्रेमी और बी एच यू बनारस से मैनेजमेंट की पढाई कर रहे श्री  विकास दीक्षित जी  को पता चली तो उन्होंने बनारस भी आने का आमंत्रण दिया..कुछ महीने पहले फेसबुक के माध्यम से उनसे परिचय हुयी थी..
मुझे भी बड़ी इच्छा थी बाबा विश्वनाथ के दर्शन और ऐतिहासिक धरोहर, गली घाट मंदिरों का शहर  बनारस घूमने की ..और फिर साहित्य प्रेमियों का आमंत्रण भी मिल गया..फिर ये अवसर कैसे चूक सकता था मैं .. उनसे प्रयागराज के बाद 3 february २०१९ को वहां आने की योजना बनायी..मेरे साथ मेरा प्रिय मित्र विद्यासागर भी था..


हम सुबह करीब ६ बजे वहाँ पहुचे..विकास जी पूरे रस्ते फोन पर मेरा अपडेट पूछते रहे..उत्साह ,उत्सुकता और  बढती जा रही थी..
हम बनारस में बी एच यू के गेट पर पहुचे.और विकास दीक्षित जी वहाँ एक बेहतरीन साहित्यकार,इंजिनियर और शिक्षक श्री शशिकांत सिंह  'आनेह'के साथ लेने पहुचे..आप आप आनेह जी को youtube पर सुन  सकते हैं..
उन्होंने बताया वो मुझे सोशल साइट्स और youtube के माध्यम से पहचानते थे..
बहुत ख़ुशी हुयी ..थोडा आराम करने के बाद हम घूमने निकले..अस्सी घाट में स्नान किया..आसपास के घाट देखे ...फिर एक 
 आलूबड़े और दही बड़े  के लिए फेमस होटल पर नास्ता करने गये...
इसके बाद बी एच यू  घूमना हुआ वहा का बाबा विश्वनाथ जी का मंदिर घूमा, दर्शन हुए और साथ ही साहित्यिक चर्चा और बनारस के ऐतिहासिक गौरव पर घंटों लगातार बातें चलती रही..

इस तरह शाम के 4 बज गये ..और फिर कई नये लोग मिले, दोस्त बने..सब एक एक से हुनरमंद..उनमे से एक शिवाय जी, जो लिखते भी अच्छा हैं और रैप भी कंपोज़ करते हैं..उनका व्यव्हार और बोलने का ढंग बहुत अच्छा लगा..जितनी  ऊँची उनकी फिजिकल हाइट है वैसा ही ऊँचा व्यव्हार..हम सब एक कैफ़े मैं बैठे और एक मित्र शिवम् द्विवेदी जी से गिटार पर गाना सुनना हुआ..बहुत बढिया... कब वहाँ 7 बज गये पता ही नही चला.. 
करन जी से मुलाकात हुई जो अपनी बातों में सम्मोहन की क्षमता रखते हैं..
फिर उनकी योजना मेरा एक छोटा सा साक्षात्कार रिकॉर्ड करने की थी..वो भी करीब आधे घंटे तक चलती रही..
बहुत आनंद आ रहा रहा था..फिर हम काल भैरव का दर्शन करने गये विकास जी के साथ..मणिकर्णिका घाट के सामने से गुजरे..फिर वहां  संकट मोचन हनुमान मंदिर गये..इस तरह रात के १० से ऊपर का समय  हो गया..
विकास जी काफी समय तक बनारस की गलियाँ घुमाते रहे...

फिर रात में सोने के लिए  आनेह जी के रूम जाना हुआ..उनका पुस्तक संग्रह मुझे बहुत प्रभावित किया...उन्होंने अपना छोटा सा स्टूडियो दिखाया।
हम सब घूम कर  काफी  थक गये थे...और जल्दी ही सो गये..
सुबह मुझे निकलना था।।।विश्वनाथ के दर्शन कराने के लिए विकास जी और आनेह जी लेकर गये..हम वहां बड़े इत्मिनान से विश्वनाथ जी के दर्शन किये जो आमतौर पर संभव नही होता..
फिर उनसे विदा ली ..बिलकुल मन नही कर रहा आने का..लेकिन एक व्यस्तता तो होती है जीवन की ..
वहाँ से फिर हम ,मेरे दोस्त राजू और आशीष वापस आ गये ..ट्रेन से जाते हुए हम ट्रेन से बाहर हम खुद को बनारस से दूर जाते हुए देख रहे थे ..बड़ा बेहतरीन शहर..भारतीय संस्कृति जहा सुकून से सांसें ले सकती हैं ..आःह आनंद आ गया था ...
आइये... आगे चलते हैं  फिर हम बनारस से प्रयागराज और फिर प्रयागराज से अपने शहर  रीवा मध्यप्रदेश वापस आ गये ..
कई दिनों तक वो सारा मोमेंट याद आता रहा..वो सबकी मुलाकात याद आती रही ..
धन्यवाद विकास जी ,शशिकांत जी,शिवाय जी  और सभी दोस्त जो वहाँ  मिले...
कुछ और तस्वीरें शेयर कर रहा हूँ..




मेरे जीवन के बेहतरीन क्षणों में से एक...आपको भी जाना चाहिए एक बार बनारस..समय निकालिएगा .....
नमस्कार ..!!



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