इस लड़के ने पूरे घर को तंग करके रखा है दिनभर कमरे से छत में, छत से कमरे में दौड़ता है...और क्या देखने के लिए हवाई जहाज....पैर भी नहीं थकते इसके..
हवाई जहाज तो दस  बार ऊपर से गुजरती है ये दस बार दौड़ के छत पर जाता है.. पागल कहीं का...!!
ह ह ह ह....ये  उस बच्चे के लिए दुनिया की प्रतिक्रिया थी..
 पर कौन जानता था कि उसके भीतर, उसके ह्रदय में जो ज्वार उठता था उससे सारा  देश लबालब होने वाला था और हुआ भी ...पाँव कहाँ थकने वाले थे उसके ..
जिसके सपनों ने, जिसके व्यक्तित्व ने उसे रामेश्वरम की गली से निकालकर राष्ट्रपति भवन तक पहुंचाया 
......और इतनी ऊंचाइयों प्राप्त करने के बावजूद इतनी सादगी की जो भी उसके रूबरू हुआ उसका हो गया ..

जिसने युवाओं को बताया कि सपने जरूर पूरे होते हैं अच्छे उद्देश्य जरूर पूरे होते हैं ... 

जब उससे किसी ने कहा कि मेरे घर की कंडीशन अच्छी नहीं है तो उसने अपने घर रामेश्वरम में उसको चाय पर बुलाया और कहा कि यहां पर तुम देख सकोगे कि जहां पर ठीक से रहने की जगह नहीं है वहां पर इतना बड़ा सपना कैसे पलता था

जब किसी ने उससे कहा कि सपने तो मैं भी देखता हूं लेकिन पूरे ही नहीं होते तो उसने कहा कि अगर सूरज की तरह चमकना है तो उसकी तरह जलना भी होगा.. 
जिस दिन कलाम साहब ने दुनिया को अलविदा कहा किसी ने नहीं कहा कि एक वैज्ञानिक, एक राष्ट्रपति नहीं रहा...मैंने तो बस यही सुना कि कलाम नहीं रहे..
सच है पद आपको शक्तियां दे सकता है लेकिन कीर्ति व्यक्तित्व के ही हिस्से में आती है... 
 सादगी जब अपने पूरे रुतबे में होती है तो हर ट्रैंड फ़ीके पड़ जाते हैं ...
जिसका जीवन एक शिक्षक रहा ,जिसने दिल से दिल जीतने का कारोबार किया आपको सारा देश नमन करता है...
उनकी जीवन यात्रा.... किसी भी कठिनाई से समझौता करने वाली नही रही है..
नमन् कलाम..!!! 
आप कभी जा ही नहीं सकते...शरीर को तो जाना है दुनिया का दस्तूर है लेकिन आप हम सबके हृदय से कैसे सकेंगे..
धन्यवाद , हम जैसे युवाओं के प्रेरणास्त्रोत बनने के लिए.. 
























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