यह कविता 2011 के आसपास लिखी गयी  थी...इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया था..
मेरा मानना है जो काम हम करना चाहते हैं वो हमसे बेहतर हमारे लिए और कोई नही कर सकता 
पर उसे कर हम तभी सकते हैं जब हमें अपने आप पर भरोसा हो... 
और अपने भीतर अगर हमने हिम्मत जुटा ली तो बस... दौर हमारा कहानी हमारी  
 यह कविता साधारण सी है..लेकिन हमारे आपके सबके दिल की बात है ..
जो कुछ बड़ा करने के सपनें देखते हैं ..
आइये, पढ़ते हैं ..बड़ी हिम्मत मिलेगी 

बस तू ही है इस दुनिया में
तुझ सा है कोई और कहाँ
ग़र हो न भरोसा बात में तो,
तो तू भी यहाँ और मैं भी यहाँ
तेरे हुंकार में वो दम है
सारी दुनिया भी थम जाए..
ख़ुद पर हो विश्वास अगर
एक पल क्या..वक्त बदल जाए

जीवन में सजे हैं कुछ सपनें
हर हाल में पूरे करने हैं
सूरज के नीचे हैं मोती
वो रखने हैं तो रखने हैं
घेरा हो हज़ारों मुश्किल का
मेहनत के आगे झुकने हैं
सूरज पर छाये बादल भी
एक न एक दिन तो छटनें है
क्या हुआ नही या हो न सका
ऐसा कुछ ढूढ़ के तो लाए..
ख़ुद पर हो विश्वास अगर,
एक पल क्या..वक्त बदल जाए..


सबकुछ तो करना आसां है
रोके क्यों कोई आज भला..
झोंके में छिपा है एक तूफां
वैसे ही हम में जोश भरा
हो वक्त का पहरा मुझ पर क्यों
हम वक्त से आगे रहते हैं
धरती पर यूँ तो चलते हैं
पर आसमान में रहते हैं..
कहते हैं सबकुछ किस्मत है
तू ख़ुद ही फ़रिश्ता बन जाए..
ख़ुद पर हो विश्वास अगर,
एक पल क्या..वक्त बदल जाए...

 - Kavi Sandeep Dwivedi



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