देश की सर्वोच्च न्यायालय ने एक  लम्बे समय के बाद यह निर्णय दिया कि अयोध्या की वह विवादित जगह रामलला की जन्मभूमि है...
एक सामान्य बात पूछता हूँ  कि क्या वाकई अब तक यही पता लगाया जा रहा था कि राम की जन्मभूमि यहीं है या नही..
मुझे नही लगता..मुझे बस ये लगता है कि जज यह निर्णय ले रहे थे कि शांति कैसे बरकरार रखी जाये...क्यूंकि यदि वो  इतिहास खंगाल रहे थे तो कितने साक्ष्य उनके सामने मुह जबानी लोग सुना देते..
वाल्मीकि में अयोध्या का नाम नही है क्या.. मानस अयोध्या अयोध्या अयोध्या राम राम राम .. नही गाता क्या..और भी न जाने कितने..
 निर्णय तो बस शांति का रहा..और समय भी इसी में लगा ...न कि ये तय करने में कि अयोध्या राम की जन्मभूमि है ..
न्यायालय तो शायद उसी दिन नतीजे पर पहुँच गयी होगी जिसे समय यह केस दायर हुआ रहा होगा ...
  शांति सर्वोपरि है..न्यायालय ने यही सन्देश इस निर्णय में संप्रेषित किया है ..
सबको सब मिला है..अब अगर अतृप्ता होती है तो यह बस शांति से खिलवाड़ होगा..और कुछ नही 
हमें न्यायालय के निर्णय को स्वीकार करना चाहिए..
हमारे भगवान् ने ,अल्लाह ने सबने यही सन्देश दिया है..शांति कायम रखी जाए..
प्रेम परोसा जाये ..

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