मैं धन्य हूँ जन्मा यहाँ

हमारे देश ने गौरव की असीम ऊंचाइयां देखी हैं।
पूरे विश्व को हमारे ज्ञान पर नतमस्तक होते देखा है 
हजारों कोशिशों के बाद भी नष्ट न होने संस्कृत का हम हिस्सा हैं 
हमारे देश में प्रेम पलता है, भक्ति पलती  है 
हमारे देश में राम रहते हैं ,कृष्ण रहते हैं... बुद्ध रहते हैं 
हमारे देश में वेद पलते हैं ,पुराण पलते हैं 
हमारे देश में कालिदास रहते हैं, वाल्मीकि रहते हैं...वेदव्यास रहते हैं 
हमारे देश में महर्षि कणाद रहते हैं ,महर्षि पतंजलि रहते हैं ,महर्षि चरक रहते हैं 
हमारे देश में आर्य भट्ट रहते हैं ,रामानुजन रहते हैं, विवेकानंद रहते हैं..कलाम रहते हैं 
ये गुरु नानक की भूमि है,महाराणा प्रताप की भूमि है ,भगत सिंह की भूमि है 
हमारे देश में छत्रपति शिवाजी रहते हैं ,वीरांगना झाँसी की रानी है, चंद्रशेखर आजाद रहते हैं 
प्रस्तुत कविता इसी पावन और शौर्य भरी मिटटी का गान है...


भारत भुवन की नींव में है
शौर्य की उत्कृष्ठ  प्रतिमा
भारत के कंठों में भरी है
वीरता की दिव्य गरिमा।

भगवान की अद्वितीय कृतियाँ,
हुई हैं जिस देश में
संस्कृति के बीज निर्मल,
अंकुर हुए ऋषि भूमि में
प्रकृति ने ही स्वयं आकर,
दे गयी हों अमिट छवियाँ
गगन धरती जल हवाएं,
दिन रात गाएं जिसकी महिमा
अखिल आदि अद्वितीय भारत,
मै धन्य हूँ जन्मा यहाँ। 

योगविद्या कला साहित्य
धर्म शासन नीतियां
वाणिज्य,वैदिक,अंक,भौतिकी 
उभरी यहाँ ये विभूतियाँ
हर क्षण है जिसका प्रेरणा,
हर स्वर है जिसकी वन्दना
अखिल आदि अद्वितीय भारत,
मैं धन्य हूँ जन्मा यहाँ।

सादगी सद्भाव सेवा,
संस्कृति सुशोभित सदा
विश्वव्यापी वेद वैभव,
विनम्र विराट विशेषता
धन्य धरती धन्य धर्ता,
धन्य धर्म की धीरता
अखिल आदि अद्वितीय भारत
मैं धन्य हूँ जन्मा यहाँ।

-कवि संदीप द्विवेदी 

1 Comments

  1. Wonderful article. Good start with the new mind and thoughts. Thanks for sharing this post. Incredible India Images

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