आइये स्वागत है ,
कविता पढ़ें भी..सुनें भी 

इस कविता का कुछ अंश मेरी कॉलेज के समय का है और शेष उसके बाद का।बात ऐसी है कि 
 हम कई बार हारने के लिए तैयार नही होते। कई बार क्या..हर बार ही। हमें हार पसंद नही होती। 
लेकिन हम यदि मैदान में उतरे हैं तो हारेंगे भी और जीतेंगे भी।ये खेल के पहलू हैं ।  हमें दोनों से ही गुजरना पड़ता है। 
कई बार ऐसा लगता है कि कुछ लोग नही हारते। 
लेकिन यकीन मानिए हो सकता है कि हमें उनकी हार न दिखती हो पर वो हारते जरूर हैं। 
यह कविता यही लेकर प्रस्तुत है। 

जीत तो ख्वाहिश है सबकी
हार रास आती नही..
तब तक सफलता नही सच्ची,
जब हार मिल जाती नही..

होंगे ऐसे लोग भी जो,
कभी भी हारे नही..
पर पास जाके उनसे पूछो,
सचमुच वो हारे नही ?
शामिल अनेकों हार होंगी
उनकी हर एक जीत में..
हर पदक पाने से पहले,
हार देखी क़रीब से..
है नहीं कोई भी ऐसा,
जो कभी हारा नही..
तब तक सफलता नही सच्ची,
जब हार मिल जाती नही ..
पढ़ें 👉।जीवन गिरता उठता है। best Motivational poetry

जिसने शिखर जीता, छुआ
तुम कदम उनके मापना ..
जो वृक्ष फल लादे खड़ा है
उसकी जड़ों को आंकना..
वो कदम कितने घिस गये हैं,
मुश्किलों को साधने में..
जडें कितनी ढह गयी हैं
इन फलों को थामने में...
हमने इनको  खड़े देखा
गिरना कभी देखा नही..
तब तक सफलता नही सच्ची,
जब हार मिल जाती नही ..
    -Kavi Sandeep Dwivedi
धन्यवाद, 
फिर मिलेंगे कुछ नया लेकर।।। 
आप आते रहियेगा।। 🙏😊

5 Comments

  1. बहुत ही प्रेरणादायक ,उत्तम और अनन्य कविताएँ।
    ऐसे कवि दुर्लभ है इस आधुनिक युग में।जय हो।

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  2. बहुत ही प्रेरणादायक ,उत्तम और अनन्य कविताएँ।
    ऐसे कवि दुर्लभ है इस आधुनिक युग में।जय हो।

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  3. बहुत अच्छी कविता है सर जी ������

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  4. Hame to jitana hi nahi aata per khel jrurur lete hai

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