कोई क्रीम हो जो साफ़ करे तो हमें भी बताइयेगा पर गोरा करती हो तो रहने दीजियेगा।


      हम हमेशा अपने गहरे रंग पर अपने आप में शर्मिंदा होते  हैं और कई जगहो पर इसी भाव ने आगे आने से कई बार रोका है। 
     ....होता है...मुझे भी कई बार लगता है गोरा होता तो कितना बढ़िया लगता। थोड़ा सा भी होता तो बात जम जाती। है न ?
और इधर ये करिये ऐसा हो जायेगा दस दिन में महीने भर में  ..ऐसा ही कुछ कुछ माहौल बनाते हैं न क्रीम के विज्ञापन वाले भी ?
कुल मिलाकर शुरू से लेकर अंत तक खिंचायी। 
अब इस कहानी के ऊपर चलें ?। ..जब तक हम इस कहानी में रहेंगे कुछ नहीं हो पायेगा।।

                       दरअसल  हमने अपने भीतर के खूबसूरत दिल को, अपने भीतर की खूबसूरती को त्वचा के इसी काले रंग के मनगढंत हीन भाव के परदे के भीतर घुसेड़कर उसका दम तुड़वा देते हैं।
कभी आने ही नहीं देते बाहर। 
अरे आपके हुनर की क्या गलती है भाई। ..
जरा सोचिये  घर तय करेगा क्या कि मालिक कैसा रहे। ...

           हर रंग अपनी खूबी रखता है हर रंग की अपनी खूबसूरती है पर हम नहीं मान पाते क्यूंकि हमारे आसपास ये कोई मानने ही नहीं देता और तो और हम खुद ही इसमें जुटे रहते हैं। ..
         
                           मैं अपना अनुभव कहूं एक लम्बे समय तक इस भाव से दो चार हुआ। इसके लिए बाहर की बात तो दूर मेरे भीतर की ही दुनिया पर्याप्त थी ये समझाने के लिए कि मैं अच्छा नहीं हूँ...
                  पर ये पता था इसके आगे दुनिया है। लेकिन स्वयं को इस बात पर अधिक समय तक खड़े नहीं रख पाता था।
पर इससे काम थोड़ी चलने वाला था..खुद का ही खुद ही अपमान क्यों। ...
ये बात यहीं छोड़ते हैं। .

      इस विषय से जुडी एक दूसरी बात पर ले चलते हैं आपको 
मेरे कॉलेज टाइम में एक दोस्त ने अपना प्रेम प्रस्ताव जैसा कुछ लिखने के लिए बोला और साथ में यह बात रखी कि जो भी लिखूं उसमें मेरे गहरे रंग को लेकर कोई बात कही जाय..
कॉलेज टाइम था मैंने यूँ ही उसके लिए लिखने की कोशिश की 
 और इस प्रेम प्रस्ताव को  लिखते हुए मुझे यह समझ आया कि कम हम भी नहीं हैं
दुनिया में कितनी अहमियत रखता है ये रंग। .
हम गहरे रंग वाले भी दमदारी रखते हैं।
.....आइये पहले वो प्रस्ताव पत्र पढ़ते हैं फिर आप बताएं अब आपको कैसा लगा अपने गहरे रंग को लेकर 

माना बदसूरत काले 
पर हम भी रुतबे वाले 
जाना है तुमने ये कहां 
दुनिया के जो रखवाले 
काले हैं गीता वाले 
जिनके हाथों में दो जहाँ 
वेदों  के अक्षर काले 
पूजा के पत्थर काले 
काला है तारों का मकान 


लाखों में एक हो माना 
पर ये तो सोचो जाना 
मेरे ही रंग से हो हसीं 
जुल्फ़ें लहराती काली 
आँखें वो सुरमें वाली 
हाथों का धागा देख लो 
सोती हो तुम काले में 
छिपती हो तुम काले में 
फिर हमसे इतना दूर यूँ 
आँखें बंद करके देखो 
सपनों के पीछे देखो 
मेरे ही रंग के साथ हो 

चेहरे का नूर बढ़ाये 
छोटा जो तिल पड़ जाये 
परियां भी देखें आपको 
काली नजरों से बचाये 
काला टीका जो लगाए 
अब तो समझो ना बात को 

आओगे तो जानोगे 
रहते हो ऐसे दिल में 
जैसे हो मेरा सब तेरा। 
तुमसे लम्हा जीता हूँ 
तुमको  खुद में बनता हूँ 
अब कैसे दूँ मैं इम्तिहां। 

ग़र जाना है तो जाओ 
इतराना है इतराओ 
इतना कहना पर जो मिलें। 
बिजली बादल को छोड़े 
पानी  झरने को छोड़े 
दिन भी रातों को छोड़ दे।  
लक्ष्मी, नारायण छोड़ें 
गौरी,शंकर को छोड़े 
अब क्या बोलोगे बोल दो 

आज हैं हम कल ना होंगे 
फिर ऐसे पल ना होंगे 
जो तुम पर इतना हो फना।  
समझो ना समझो तुम पर 
अब हैं सब बातें तुम पर 
जितना कहना था कह दिया। 

तो ये प्रस्ताव था। .😃😃😃
ह ह ह.. 
कुछ लगा आपको अपने लिए।

अपनी पहली बात पर आते हैं..
कहना ये चाहता हूँ प्रकृति ने सबको एक रंग दिया है पेड़ पौधों पक्षियों मिटटी आकाश जो भी है
ऐसे ही हम सबका भी रंग है। ..क्यों सोचना इतना।
क्यों झिझकना।अपने भीतर का कारोबार सम्भालिये जो आपके हाथ में है और जो ताउम्र मायने रखता है। दुनिया को आपमें उसी से अपेक्षा है ...बिना भीतर की अमीरी के लम्बे समय तक कुछ नहीं चलने वाला। रंगों से ऊपर उठिये.... ढंगों पर काम करिये।

      ...और काला गोरा अगर सुन्दर बदसूरत की निशानी होती तो मैंने कहीं पढ़ा था कि हाल ही में मिस वर्ल्ड का ख़िताब जिन्हे मिला है उनका बिलकुल डार्क रंग है...
कौन हैं हमें भी बताइयेगा नाम पता हो तो। ...

और हाँ... कोई क्रीम हो जो साफ़ करती हो तो हमें भी बताइयेगा पर गोरा करती हो तो रहने दीजियेगा।
😂😂😂

धन्यवाद

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13 Comments

  1. Boht sunder prastav likha tha Sir.
    Apne sahi knha prakriti ne sabko alag alag rang diye h.
    Pr ye society bhi to jine nhi deti inn logo ne hi kala gora ka bhedbhav kr rkha h.

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  2. Sir ji rang chahe gora ho ya kala pr dil khubsurat hona chaiye .hr insaan ki apni soch hai koi kisi ke rang se hi uss insaan ke liye apni soch bna leta hai koi apni soch se hi uss insaan ke mann ki sundarta ko dekhta hai .srr ji chahe koi bhi ho kaisa bhi dikhta ho kisi ko koi huq nahi hai usse sundar ya badsurat khne ka .
    Sandeep sir ji apne kha ki prakrati ne sabko alag rang diya hai so sabki value bhi uske isi rang roop se hi hai

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  3. भीतर की सुंदरता ही सत्य है

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  4. Bahot shandar sirji har kavita apki kabile tariff h

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    1. Thank you so much priyanka mam.।
      Always need your support.।

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  5. Accha laga padhkar , magar baat yeh hai ki kehna asan hai usme mutabik rehguzar krna utna hi mushkil .. vastav yahi hai ki jaab wakta ata hai hum bhi isitarahka bartav krte hai ,haar kisiko unke raag se hi parakhte hai hum .. koi ladki jo krushna varniya hai yadi wo kisi gora vyakti ko apni prem bhavna vyakt krde to adhikash lok yeh ki kahenge ki tum kali ho aur ladka gora hai .. dukh hai is baat ka

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  6. bhut sundr sir ji kale hai to kya hua dilwale hai ha ha ha ....

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  7. Sir bahut hi Sundar Kavita lekhte ho
    Me aapka bahut bda fan hu

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  8. आपने बहुत खूब लिखा है।

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