हम सबने अपने बुजुर्गों से यह कहावत तो सुनी ही होगी कि

    बिना अपने मरे स्वर्ग नही दिखता..

यह कहावत एक बड़ा सन्देश रखती है हमारे आपके लिए 

यह कहावत सफलता कैसे मिलेगी यह बताती है ...

अब यह कैसे ? 

इसे इसी कहावत से समझते हैं 

देखिये आप स्वर्ग के बारे में किसी का सुनाया किस्सा जान सकते  हैं..

प्रचलित कथाएँ पढ़ सुन सकते हैं ...

बड़े बड़े  लेख भरे पड़े हैं उपन्यास हैं जो आपको स्वर्ग कैसा है अपनी कल्पना से बताते हैं ..

कभी भी कोई लेखक स्वर्ग घूमकर नही आया होता ..

स्वर्ग के विषय में लिखने के लिए..बस कल्पना मात्र है  ..

क्योंकि या तो वो स्वर्ग घूम सकता है या किताब लिख सकता है ...

जो स्वर्ग गया वो फिर आप[को बताने नही आ सकता..😄 

इस तरह कहावत ये है कि यदि स्वर्ग देखना है तो जिसको देखना है उसी को मरना पड़ेगा ...

कोई और आपके लिए वो दृश्य नही ला सकता ..

कहना ये चाहता हूँ कि ये कहावत हमें यह बताती है कि

 बिना स्वयं की तैयारी के सफलता संभव नही ...

कोई आपको  अपने अनुभवों से सफलता के गुर बता सकता है ..

खूब तरीके बता सकता है ...मोटिवेशन दे सकता है ...

अपनी असफलताओं से सीख दे सकता है ..लेकिन करना आपको ही पड़ेगा..

जूझना आपको ही पड़ेगा...ये तरीके आपके रास्ते मेंआपकी  मदद कर सकते हैं

 लेकिन चलना आपको ही पड़ेगा ..ये काम आपके लिए कोई और नही कर सकता ....

इसलिए हमारे बुजुर्गों की कहावतें हमें संजो कर रखना चाहिए बड़े काम की बात होती है ...

विद्यार्थियों के लिए

अगर आप विद्यार्थी हैं तो स्वाध्याय आपको करना ही पड़ेगा ..

कक्षाए आपको विषय की जानकारी दे सकती हैं लेकिन 

परीक्षा आपको ही देनी है लिखना आपको ही है ..

इसलिए आलस न करें जो भी करना चाहते हों ..अभी उठें और करें ....

कल पर टालेंगे तो आपका ही काम टलेगा ...आप पर ही बोझ बढ़ेगा ..

अच्छा होगा कि सब बिलकुल समय से किया जाए बिना आलस के बिना समय गंवाए...

क्योंकि बिना अपने मरे स्वर्ग नही दिखेगा ...

तो समझ आई न ये कहावत ? और इसका सन्देश ....

धन्यवाद ....

5 Comments

  1. Bilkul sahi Sir samajh ayi kahavat.
    Monday ko exam h mera thank you apki iss kahani se mujhe motivation mila.😊❣️

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  2. गुरुजी , धन्यवाद ,,मेरे आत्मविश्वास को और दृढ़ता प्रदान करने के लिए,, आपसे थोड़ा ज्ञान चाहिए कुछ सवालों के जवाब चाहिए
    और मेरी दो लाइन है उस पर आपका पक्ष ,विचार जानना चाहूंगा,,

    "एकांत में ही जन्म हुआ है,
    एकांत में ही मरण होंगा,,
    जीवनपथ में जीवनसाथी मोह भाव का लोभी है"।

    मेरी ये बात कहा तक सही है,, या जीवन बिना जीवन साथी के कैसा होंगा ?,,उस दृश्य को मैं आपकी कल्पना के द्वारा देखना चाहता हूं,, चाहता हूँ कि आप इस पर एक वीडियो बनाकर इस कल्पना को अपनी आंखों से दिखाए,,

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