नमन 


 हर भारतवासी के हृदय में स्वतंत्रता संग्राम की क्रांति ने अंग्रेजों को भगाने का बिगुल बजा दिया था।
इस क्रांति का उद्देश्य भले न पूरा हो पाया हो लेकिन इस क्रांति ने युवाओं में आज़ादी की,स्वतंत्र भारत देखने की जो आग सुलगायी थी वो बुझने वाली नही थी। 
देश आज़ाद होने के लिए तड़प रहा था।
किसी भी हाल में देश गुलाम नही रहना चाहिए। 
अंग्रेजी सरकार का हर जगह विरोध शुरू था। 
 और इस विरोध में सक्रिय भूमिका निभा रहा था पंजाब का एक सरदार परिवार।। 
सरदार किशन सिंह का परिवार। 
उनके छोटे भाई अजीत सिंह ने तो अंग्रेजी सरकार के दांत खट्टे कर रखे थे।अंग्रेजी सरकार खोजती रह जाती थी लेकिन अजय सिंह हाथ न आते थे। 
और इसी बीच 20 सितंबर 1907 को किशन सिंह जी और उनकी पत्नी विद्यावती के आंगन में सुनाई दी एक किलकारी। 
कहाँ पता था सरदार किशन सिंह जी और विद्यावती के आंगन की यह किलकारी वो दहाड़ थी
जो आगे चलकर अंग्रेजों का पसीना छुड़ा देने वाली थी। 
शेरों के बीच इस शेर का नाम रखा गया।भगत। 
भगत सिंह।।। 
आज़ादी के सपने देख रहे इस सिख परिवार का भगत सिंह पर गहरा असर पड़ा। 
उनकी माँ उन्हें प्रेरक किस्से सुनाया करती थी जो उनमें नैतिक मूल्यों के बीज बो रहे थे। 
भगत को नासमझी उम्र में ही इतनी समझ आ गयी थी कि देश हमारा गुलाम है और गुलाम रहना अच्छी बात नही। हमारा देश आज़ाद रहना चाहिए। 
भगत सिंह की निडरता तो जन्मजात थी 
देशप्रेम उनमें बचपन से ही था। 
बड़े होते होते भगत अपने दुश्मन पहचान गए थे। 
12 वर्ष की उम्र में जलियावाला बाग हत्याकांड.... भगत सिंह के मन मस्तिष्क पर गहरा असर किया।वो जीवन पर्यंत उसे भूल नही पाए। 
प्राथमिक शिक्षा के बाद में जब वह लाहौर पढ़ने गए वहाँ वो अपने कारनामों से चर्चित होने लगे। 
कॉलेज समय से ही अंग्रेजों के विरुद्ध आंदोलनों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते थे। 
भगत सिंह विदेश में अंग्रेजों के विरुद्ध संगठन बना रहे सरदार करतार सिंह और देश में आज़ादी के लिए लड़ रहे लाला लाजपत राय और गाँधी जी का बहुत सम्मान करते थे। 
उनके कई अहिंसात्मक आंदोलन में भाग लिया। 
पर जब शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन कर रहे लाला लाजपत राय पर लाठियां बरसायी गयीं और जिसकी वजह से उनकी मौत हो गयी। 
तब भगत सिंह से रहा न गया। उनका शांतिपूर्ण विरोध से भरोसा छूट गया। उन्होंने मान लिया कि ये अंग्रेज ऐसे नही मानेंगे। 
तब से वो लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए तड़पने लगे। 
लेकिन यह अकेले संभव नही था। 
तब उन्हें महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद के बारे में पता चला जो आजादी का स्वप्न देख रहे थे और क्रांतिकारियों का नेतृत्व कर रहे थे। 
भगत सिंह के साथ और भी कई क्रांतिकारी उनके साथ आ गए। 
राम प्रसाद विस्मिल, चंद्रशेखर आज़ाद, भगतसिंह, बटुकेश्वर दत्त, सुखदेव ,राजगुरु और कई 
सबने मिलकर एक संगठन बनाया। 
और फिर उनके संगठन के सहयोग से उन्होंने लाला लाजपत राय का बदला लिया। उन पर लाठी बरसाने वाले को दफ़्तर से बाहर आते हुए गोली मार दी। 
इसके बाद तो भगत सिंह का नाम अंग्रेजी दफ्तरों की सुर्खियां बन गया।। 
अंग्रेज ढूढने लगे।
इसके बाद वो पूरी योजना से अंग्रेजों को चकमा देकर कलकत्ता आ पहुंचे। यहाँ भी अंग्रेजों के विरुद्ध आंदोलन जारी था। 
और बाद में उन्होंने अंग्रेजी सरकार द्वारा लाये गये दो बिलों के विरुद्ध अंग्रेजों से अपनी नाराजगी दिखाने के लिए दिल्ली के असेंबली हाल में उन्होंने छोटे छोटे आवाज़ वाले बंब गिरा दिये।उनका उद्देश्य सिर्फ अंग्रेजी सरकार के इन बिलों का विरोध मात्र था  नुकसान पहुंचाने का कोई इरादा नही था।
अफरा तफरी मच गयी...
 वो भाग सकते थे लेकिन वो भागे नही बल्कि वही खड़े रहकर इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाने लगे। पर्चे फेंके जिसमें उनके बिलों का विरोध था। 
अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और लाहौर जेल में डाल दिया। 
काफी समय केस चला और आखिर में भगत सिंह को सांडर्स की हत्या के लिए फांसी की सजा सुना दी गयी। 
उन्हें 23 मार्च 1931 को केवल 23 वर्ष की उम्र में उनके साथी सुखदेव और राजगुरु के साथ फांसी दे दी गयी। 
ये वीर हँसते हँसते फांसी पर भारत माँ के लिए फंदे पर झूल गए।। 
लेकिन यह बलिदान अब युवाओं की हिम्मत और बढ़ा दी थी। अंग्रेजी शासन के विरुद्ध विरोध और तेज़ हो गया। यह फांसी युवाओं को जगाने वाली थी। कड़ा रुख अपनाने के लिए प्रेरित करने वाली थी। 
भारत माँ के लिए हँसते हुए फांसी का फंदा चूमने वाले अमर सपूत भगत सिंह ,सुखदेव और राजगुरु को भावभीनी श्रद्धांजलि।।।
भारत माँ के आँचल में सुकून से सो रहे ये वीर
 आज और हमेशा हर भारतीय को भारत माँ के लिए मर मिटने के लिए प्रेरित करते रहेंगे।।। 
तेरा वैभव अमर रहे माँ.. 
।।जय हिंद।। जय भारत।।

1 Comments

  1. Sir 23 march 1931 ko फाँसी हुई थी🙏

    सर हो सके तो एक कविता भगत सिंह जी के लिए लिखे ।। मुझे आपकी आवाज में भगत सिंह जी की कविता का इंतजार रहेगा🙂

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