। मकर संक्रांति पर्व महत्व । 

कोई भी परिवर्तन सामाजिक उत्सव का एक कारण होता है। सबका अपना आनंद होता है।और हमारी संस्कृति तो प्राकृतिक परिवर्तन के झरोखों को भी उत्सव का हिस्सा मानती है। 
आज भी एक ऐसा ही परिवर्तन है । जो पूरे अंतरिक्ष को रोशन करने वाले सूर्य के राशि परिवर्तन से संबंधित है। सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश का उत्सव है। सूर्य के उत्तरायण का उत्सव है। 
आज मकर संक्रांति है। 
गेहूं की बालियों ने गेहूं के स्वागत में हरी हुई है। सरसों अपने पीलेपन से अद्भुत दृश्य निर्मित कर रही है। 
प्रकाशराज सूर्य का उत्तरायण तो मोक्षदायी माना जाता है। 
यह सूर्य की वही स्थिति है जो बार बार इस संसार में जन्म लेने से मुक्ति हेतु द्वापर युग में हस्तिनापुर के राजपुत्र व्रती गंगापुत्र पितामह भीष्म ने अपनी इच्छामृत्यु के लिए चुना था। 
गंगा के तट पर इस योग में नहाने के लिए पूरी मानव जाति उमड़ी है। 
यह उत्सव आपके जीवन को समृद्ध बनाये।फसलें सदा यूँ ही लहलहाती रहें। जीवन का हर क्षण उत्सव हो।। इसी कामना के साथ मकर संक्रांति की ढेरों शुभकामनाएं।।। 

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