REPUBLIC DAY SPECIAL POEM


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विकास निश्चय ही हमें विश्व के साथ रखता है।।। 
निश्चय ही हमें विकासरत होना चाहिए.. 
पर यह विकास किसी राष्ट्र की उस पहचान को प्रभावित न करे जो उस राष्ट्र को अनोखा बनाती हों। जिसकी वजह से उसकी कीर्ति रही हो। जैसे कि हमारा भारतवर्ष, जो अपने कुछ विशेषताओं से दुनिया भर के लिए आकर्षण रहा है।सम्मानित रहा है।
कुछ यही आधार बनाकर गणतंत्र माह में राष्ट्र को समर्पित।। 

जहां समर्पण की गाथाएँ,
गली गली में गुंजित होती..
जहां प्रेम की कविताएं,
हृदय हृदय में संचित होती..
ग्रंथों के मंत्रों से गुंजित,
गंगा का हर घाट रखना..
देश बढ़े जितना भी लेकिन,
देश का अंदाज़ रखना।।


देश के कोने कोने से,

स्नेह भरे संदेशा लाएं..
जाने कितने मौसम लादे,
चलें झूमती मस्त हवाएँ..
इनकी खुशबू में ऐसे ही,
मिट्टी वाला स्वाद रखना..
देश बढ़े जितना भी लेकिन,
देश का अंदाज़ रखना।

पढ़ें -यह कविता आपको देश भक्ति से भर देगी..

मात्र नाम न मेरा परिचय,
कई हमारा परिचय गाते..
पहनावे, बोली, भाषाएं
मिलकर अपना हाल बताते.. 
हम एक अनेकों रंगों में,
ऐसे भाव संभाल रखना..
देश बढ़े जितना भी लेकिन,
देश का अंदाज़ रखना।

यह धरती का भाग सदा,
ऋषियों के मन का आंगन था..
सदियों ने गौरव चूमा है,
मिट्टी का हर कण पावन था..
माँ की इसी धरोहर को,
उन्नति का आधार रखना..
देश बढ़े जितना भी लेकिन,
देश का अंदाज़ रखना।।

                                - Sandeep Dwivedi

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