'जन्मोत्सव' यह उत्सव 1990 वाले दशक के अधिकतर बच्चे केवल जन्माष्टमी ही जानते हैं। क्योंकि उनका जन्मदिन मनाया कहाँ जाता है।विशेषकर गाँव में। कब आकर निकल गया कुछ पता नही।। आज तो लगभग हर किसी का जन्म दिन मनाया ही जाता है।घर न सही..दोस्तों के साथ ही।।
मैं इस प्रथा से वंचित रहा। 
लेकिन सोशल मीडिया के दौर ने बहुत कुछ बदला।। 
कुछ साल से हमें न याद आये तो तकनीक याद दिला देती है। और मुझे ही नही सबको सूचित कर देती है।।। 
पिछले दो तीन वर्षों की भाँति इस वर्ष भी जबकि मैं 30 वर्ष का हुआ।। खूब सारी बधाइयाँ मिलीं। हजारों दोस्तों ने अपना स्नेह लुटाया।।।। बहुत बहुत आभार।। 🙏🙏🙏💐
लेकिन एक शुभकामना जो मेरे जीवन की कभी न भूलने वाली घटना बन गयी।। ये मेरे लिए पहला क्षण था।। मैं विचार भी नही कर सकता था कि कोई मेरा जन्मदिन इस तरह मनायेंगे।। 
अमित शर्मा जी जो कि इंदौर से हैं।। मैं गाँव में था।
और इंदौर में उन्होंने और उनके दोस्तों ने भाव वश मेरा जन्मदिवस कुछ जरूरतमंदों को कुछ कॉपीपेन वगैरह देकर मनाया।। 
ये तस्वीर जब रात 10 बजे मेरे पास आयीं। मैं निः शब्द रह गया ये स्नेह पाकर। कुछ उपलब्ध फोटो साझा कर रहा हूँ।। 



मेरे पास इसके लिए कुछ शब्द नही थे।। 
किसी का इतना लगाव।इतना स्नेह। मुझे डराता है। मुझे एक बड़ी जिम्मेदारी सौंपता है। 
धन्यवाद कह कर मैं इस स्नेह की कीमत नही बना सकता।। 
बहुत बहुत आभार शर्मा जी।।। 
आज अचानक तस्वीर देखी तो लगा ये अनुभव इस तरह संभाला जाय।। 

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