..परीक्षा देने के फायदे ..
मेरी स्कूल में एक गीत होता था..उसकी कुछ पंक्तियाँ थी..
'गिर कर उठना ,उठ कर चलना 
यह क्रम है संसार का 
कर्मवीर को फर्क न पड़ता 
किसी जीत या हार का..'
यह गीत सप्ताह में एक बार जरुर होता था..
और आज की चर्चा इस पंक्ति से इसलिए प्रारंभ की..
क्योंकि जब चर्चा का विषय परीक्षा हो तो यह पंक्ति स्वाभाविक रूप से प्रासंगिक हो जाती है ..

क्या परीक्षा बस इतनी ही ?
यह बिलकुल सत्य है कि परीक्षा हमारी योग्यता आंकने का सशक्त माध्यम है..
जीत का प्रमाणपत्र भी इसी के हाथ में है..
लेकिन क्या परीक्षा सिर्फ जीत के प्रमाणपत्र तक ही है ?
जो हार गया क्या उसका कोई अस्तित्व नही ?
हमें समझना होगा.. परीक्षा का विस्तार इसके पीछे आपके पूरे जीवन तक है ..और इसका प्रभाव इसके आगे के पूरे जीवन तक भी ..
एक परीक्षा ही है जो स्वयं को तराशने के लिए बाध्य करती है ...
एक परीक्षा ही है जो हममे अनुशासन डालती है ..
एक परीक्षा बहुत कुछ हैं आंकलन करने और प्रमाणपत्र देने के अलावा भी..
इसके प्रभाव से ही हम सीखते हैं...

परीक्षा में हार भी जीत से कम नही..  सामान्यतया हम किसी परीक्षा का हिस्सा नही बनना चाहते..उसका एक डर हममे रहता ही है..
क्योंकि किसी परीक्षा में हार भी होती है जो हमें स्वीकार नही..
हाँ ,बिलकुल नही होनी चाहिए लेकिन हार भी एक पहलू तो है ही परीक्षा का..
ठीक है, हार पसंद नही है..लेकिन आप खेल कल हारे न..बिना खेले तो हम हार - जीत के दायरे में आते ही नही..
और क्या हार में संभावनाएं नही हैं..?
हम सबको ये याद रहना चाहिए-
जीत के लिए जी तोड़ किये गये प्रयास में मिली हार भी किसी जीत से कम नही ..
परीक्षा के आंकलन में हो सकता है प्रमाणपत्र उसके मापदंड के हिसाब में हमारे हिस्से  न आते हों..लेकिन हम सीखते उतना ही हैं जितना जीतने वाला...
इसे ऐसे समझें ?
क्रिकेट तो हम सभी देखते हैं न..
बताइए ,क्या जीतने वाला नही हारता या क्या हारने वाला नही जीतता ?
 ध्यान दें जीत मिलने तक वो हारने वाला पसीने छुडाये रखता है ..तभी जीत की कीमत बनती है..और हारने वाले का जीत के लिए सारा प्रयास खेल को कितना रोमांचक बना देता है..
देखने वालों के मन में कौतुहल बना रहता है ..
अब बताइए आनंद खेल में था या जीत हार में..
दरअसल आनंद जीत के प्रयास में था परीक्षा पास करने के प्रयास में था ...

कहना ये चाहताचाहता
 हूँ कि
हम सबको बस अपनी परीक्षा की तैयारी पूरे मन से करनी है..जीत के लिए ...
फिर हम देखेंगे कि यदि हम  हार भी गये तो भी जीतने वाले जैसे होंगे..
बस प्रमाणपत्र से चूके हैं..बाकी दौड़ टक्कर की थी.. फील गुड 
.... परीक्षा की तैयारी में जो अनुशासन, जो लगन अपने भीतर हम आदत में डाल लेते हैं वो  कभी बेकार नही जाने वाली..
वो हमें हमारे लायक स्थान पर पहुंचाएगी ही ..
इसलिए बिना डरे परीक्षा दें और मन लगाकर इसकी तैयारी जरुर करें क्योंकि ये आपको जीत से भी अधिक बहुत कुछ बिलकुल फ्री में देती है..जिसके लिए जीतना नही.. बस, आपका उसके लिए समर्पण अनिवार्य योग्यता है..

और परेशान मत होइए..जीतेंगे भी..
जीवन है ही ऐसा..मिलता- खोता रहता है यहाँ सब। । 
शुभकामनाएं..

अब जाते जाते फिर पढ़िए ऊपर वाली पंक्ति..
'गिर कर उठाना ,उठ कर चलना 
यह क्रम है संसार का 
कर्मवीर को फर्क न पड़ता 
किसी जीत या हार का..'
धन्यवाद्

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1 Comments

  1. विद्यार्थियों का हौसला मजबूत करने के लिए यह लेख उर्पयुक्त हैं । 💐💐💐💐💐💐

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