आज महाप्राण के जन्म दिवस पर विशेष

निराला उनका मात्र कलम परिचय नही था बल्कि यह उनका जीवन परिचय भी था।। अपने हृदय की विशालता के कारण ही महाप्राण कह जाने वाले महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'जी का आज जन्म दिवस है। 

उनकी स्मृति में कभी स्कूल समय में सुनी महाप्राण निराला जी के जीवन से जुड़ी एक बेहद प्रेरक घटना याद आ रही है।। आप सबने भी सुनी होगी।।।

कहते हैं कि निराला जी से मिलने उनके कुछ प्रशंसक उनके घर गए।।

 अब चूंकि उन्होंने कभी न तो निराला जी का घर देखा था और न ही निराला जी को। परिचय बताने के लिए बस उनके पास नाम ही था। 

पूछकर वो किसी तरह उनकी कॉलोनी तक पहुँचे। 

अब घर पूछने के लिए वहीं खेल रहे बच्चों के साथ मग्न खेल रहे एक सयाने आदमी दिखे जिन्हें उन्होंने बुलाया।।वो कोई और नही बल्कि अपने महाप्राण निराला ही थे। वो गए

प्रशंसकों ने पूछा- क्या हमें महाकवि निराला जी का घर बता सकते हैं? 

निराला जी ने कहा- जी.. बिल्कुल बता दूंगा। थोड़ा रुकिए 

और वो फिर जाकर खेलने लगे।।जब खेल पूरा हुआ। वो आये और हाथ में लगी धूल झाड़ते हुए बोले-

 जी कहिये, मैं ही हूँ निराला।। 😄😄😄

वो सब हक्के बक्के रह गए।। उन्होंने कहा - आपने तब क्यों नही बताया जब अभी हमने पूछा था। 

तब महाप्राण ने जो कहा- "तब मैं महाकवि कहाँ था.. मैं तो बच्चा था।।। "

😊😊 

एक एक क्षण को भरपूर जीने का हुनर तो कोई निराला जी से सीखे।। 

उनका अक्खड़पन, उनकी सादगी उनकी रचना की ही तरह हमेशा चर्चित रहीं।। 

अभावों भरा जीवन आनंदमय हो सकता है । 

यह निराला जी से सहज ही सीखा जा सकता है।।। 

आज उन्हें नमन करता हूँ।।। 

साहित्य संसार हमेशा आपका ऋणी रहेगा।। 🙏📖☺

सुनिए यह घटना 

आपको निराला जी कौन सी रचना पसंद है?और आप किस तरह महाप्राण को याद करते हैं? यहाँ प्रतिक्रिया में साझा करें..

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