वाह रे! PSC


लाखों अभ्यर्थी सिविल सर्विस (psc)का सपना लिए दिन-रात लगन से जुटे रहते हैं।
सबकी अपनी अपनी परिस्थितियाँ हैं पर..अब सपना है तो है।।
सब कुछ त्याग कर, सब कुछ सहकर तैयारी करना आसान बात नही है और ये परीक्षाएं आसान होनी भी नही चाहिए।
बड़ी जिम्मेदारियां हैं इन पदों में।
योग्यता तो आंकनी ही होगी।
तपना तो पड़ेगा ही।। चाहे कोई भी हो।
मैंने यहाँ बस, जो भी तैयारियों में जुटे हैं। उनके संघर्षों को देखकर सहज ही जो कुछ कुछ आया।वही लिख कर आप तक साझा कर रहा हूँ।
यह एक सहज भाव हैं जो शायद हर अभ्यर्थी का होगा।।
सुनियेगा और पढ़ियेगा।।

एक जुनून

बड़ी बस्ती
कई लहरें
कई कश्ती
एक कमरा
हजार किताबें
शहर की हवा
घर की यादें
परीक्षा परिणाम
जिंदगी सरेआम
हजारों काम
उमर बेलगाम
जिंदगी गिन रही बस
साठ सत्तर अस्सी
वाह रे P S C

जिंदगी धूप
जलता स्वरूप
आँखों की ज्योति
किताबों में खो दी
बालों में सफ़ेदी
उमर ने बो दी
जेब की कड़की
स्कूल वाली लड़की
सारी ही खुशियाँ
तुझमें हैं अटकी
सपनों का आधार
एक तेरा प्यार
तू नही तो बड़ा पाव
तू है तो लस्सी
वाह रे P S C।

पापा का फोन
अलग ही टोन
शहर का खर्च
उनका कर्ज़
सपनों की उड़ान
करे परेशान
वर्दी की आस
थमे नही प्यास
सरकारी लगाम
कई तामझाम
सुनेगा कौन
रोता हुआ मौन
खूबसूरत सी ज़िंदगी
सुकून को तरसी
वाह रे ! P S C।।

पर मुड़ेंगे
हम भी नही
अकड़ तुझमें है तो
कम हम भी नही
तू जो चाहती है
वो करके दिखाएंगे
वक़्त लग रहा पर
जरूर आयेंगे
दिल में तेरी
कद्र बड़ी है
जिसने मेहनत की
पक्का मिली है
तेरी चुनौतियां
हैं स्वीकार
तू जारी रख वार
कुछ भी हो जाए
मानेंगे नही हार
लाख झटक दे तू
हम छोड़ेंगे नही रस्सी
सुन ले पी एस सी।।
सुन ले, P S C
बढ़ते जायेंगे हौसले
बनती जायेगी हस्ती ।। 

 - Sandeep Dwivedi

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