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मिलना था जो नहीं मिला वो 
जो चलना था नही चला वो 
माना सपने चूर हो गए 
तुम मिटने को मजबूर हो गए 
लेकिन इस हार को जीवन भर 
ढोने से कुछ होता है क्या?
नहीं हुआ तो हो जाएगा 
रोने से कुछ होता है क्या..

नाम एक गिनवाओ मुझको 
आसानी से मिला हो जिसको 
जीत का अपना ढंग रहा है 
पथ मुश्किल के संग रहा है
अब है मुश्किल तो है मुश्किल,
यूं डरने से कुछ होता है क्या?
 नहीं हुआ तो हो जाएगा 
रोने से कुछ होता है क्या..


दुनिया तुमको क्या बोलेगी 
जो बोलेगी वो बोलेगी 
तुमको तो राह पता है न?
हार जीत हर पल है न?
तुम जो हो तुमको मालूम है,
कहने से कुछ होता है क्या?
नहीं हुआ तो हो जाएगा, 
रोने से कुछ होता है क्या..

पानी बरस बीज लगाया 
फिर एक दिन ऐसा भी आया 
सूख गया जो कुछ बोया था 
कितने दिन वो ना  सोया था 
लेकिन खेत न बंजर छोड़े 
साहस ऐसा देखा है क्या ?
नहीं हुआ तो हो जाएगा 
रोने से कुछ होता है क्या...
- संदीप द्विवेदी

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3 Comments

  1. Charansparsh mahashaya,
    I'm your fan. Sir, kya aap is kavita ki spelling ko fir se check kr sakte hain kya?
    Mujhe iske doosre paragraph ke doosre line me kuch mistake lag rahi hai.
    Thank you.

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  2. 🙏dil se🙏🙏

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  3. very nice poem!

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