2 दीपक का दूसरा संदेश- 

तो दूसरे संदेश के लिए आपको एक घटना सुनाना चाहूँगा।। 

जो हम सभी ने कभी न कभी अनुभव की होगी 

एक बार रात में मेरी नींद खुली..
बड़ी अजीब सी आवाज़ सुनाई दे रही थी..
और साथ ही ऐसा लग रहा था
कि कोई खड़ा भी है वहां।।..
बाल मन था.. 

दादी से किस्से भी खूब सुने ही थे 

भीतर एक डर भर गया।
मैं डर के मारे पसीना पसीना हो गया।।
और तभी बिजली आ गयी।
वहाँ देखा तो पता चला कि
वो खिड़कियाँ थी
जो हवा से हिल रही थी
..और पीछे कोई खड़ा नही था
बल्कि बाहर लगे पेड़ की छाल थी।
और इतना देखते ही डर खत्म।
भाव की ओर चलें?
यह लगभग हर किसी के जीवन में
होने वाली इस घटना से
हम ये संदेश तो निकाल सकते हैं न..
कि जैसे दिये का प्रकाश या कोई भी प्रकाश
हमें सत्य से परिचय कराता है।
वैसे ही ज्ञान भी हमें सब वैसा ही दिखाने की कोशिश करता है
जैसी वो हैं।
और जब भ्रम दूर होता है तो भय स्वतः दूर हो जाता है।।
तो यह था दिये का दूसरा संदेश।।
कि यदि उजाला चाहिए तो दिया रखें।
और सत्य चाहिए तो ज्ञान।
कल मिलेंगे तीसरे संदेश के साथ..
इसी समय पर और यहीं पर।
आइये दिये का हुनर अपनाएं
हार्दिक शुभकामनाएं.. धन्यवाद 

परिचय- मेरी पहली पुस्तक 'यही सफलता साधो'.. आपने पढ़ी ?



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