रणभूमि मध्य इस योद्धा के

सम्मुख कौन बिना भय था
कुरुवंशी था वह महारथी
चलता लिए सदा जय था
आज चुना उस योद्धा को
जिसको केशव चुनने आए
हर कोई के संदेश कि क्यों
अर्जुन की चर्चा की जाए।।

लगन, अनूठी जिज्ञासा
गुरुभक्ति में दिन दिन बीते
लक्ष्य साधना कैसे है
यह अर्जुन से दुनिया सीखे
दृष्टि लक्ष्य पर सधी हुयी
गुरु के आगे झुकी हुयी
क्या यह प्रमाण पर्याप्त नही
रथ केशव उसका दौड़ाए
हर कोई ले संदेश कि क्यों
अर्जुन की चर्चा की जाए।

मित्र चुना था अर्जुन ने
विजय चुना जब दुर्योधन
रणछोर के आगे सौंप दिया
रथ, विजय और अपना जीवन
हर दृष्टि की अपनी गहराई
हर मन की अपनी चतुराई
सीखे जग यह भी अर्जुन से
क्या चुना और छोड़ा जाए

उसका था अपना वैभव
कुलदीपित उसका मान नही
कर्ण की सारी विद्या का
था बाणों का संधान वही
क्या प्रश्न जो उसने पूछे थे
स्तर में कितने ऊँचे थे
था स्तर इतना ऊँचा कि
हरि गीता को जग ले आए

_संदीप द्विवेदी

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