धन्य मराठी माटी रे 

धन्य मराठी माटी रे 
तेरे लाल के दम पर गदगद, 
हुई धरा की छाती रे।

मातृभूमि के लिए लड़े वो 
मातृभूमि के प्यारे 
मां और गुरु के संदेशों को 
सदा माथ पर धारे 
नही सहा अन्याय किसी का
न्याय की राह लुभाती रे।।
तेरे लाल के दम पर गदगद, 
हुई धरा की छाती रे।

उतरे जो तलवार लिए,
दुश्मन की रूहें थर्राए 
टूट पड़े ऐसे दहाड़ कर 
जैसे सिंह बहक जाए 
वो सत्ताएं उलट गईं जो 
सब को रही सताती रे।
तेरे लाल के दम पर गदगद, 
हुई धरा की छाती रे।

हो स्त्री वो दुश्मन की भी 
मां का दर्जा होता है 
वीर शिवाजी के आंगन में 
चैन से बच्चा सोता है 
जीजा तेरे लाल का किस्सा 
हर एक लोरी गाती रे।
तेरे लाल के दम पर गदगद, 
हुई धरा की छाती रे।

सहते कहां गुलामी बोलो 
शौर्य,तेज और साहस
कर स्वराज का शंखनाद  
चल उठा वीरवर नायक 
रंग डाला हर किला केसरिया 
रखी मान की थाती रे।
तेरे लाल के दम पर गदगद, 
हुई धरा की छाती रे।

- संदीप द्विवेदी 

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