आइये स्वागत है , कविता पढ़ें भी..सुनें भी इस कविता का कुछ अंश मेरी कॉलेज के समय का है और शेष उसके बाद का।बात ऐसी है कि हम कई बार हारने के लिए तैयार नही होते। कई बार क्या..हर बार ही। हमें हार पसंद नही होती। लेकिन हम यदि मैदान में उतरे हैं तो हारेंगे भी और जी…