ब कोई गिरकर

दोबारा उठता है न..

बहुत मजबूत होता है..

बहुत।। 


ये जो हारने से

आंसू बह रहे हैं न

ये बहते हुए आंसू

ये कहते हुए बहते हैं कि

ये जब थमेंगे

ये दोबारा नहीं आएंगे

क्योंकि ये पैदा करेंगे हिम्मत

ये भरेंगे हौसला

आगे बढ़ने का, लड़ने का

उठने का, जूझने का

क्योंकि ये आंसू जानते हैं..

जब कोई दोबारा उठता है न

बहुत मजबूत होता है.. 

बहुत.. 


मैं जिस दौड़ में अव्वल रहा

मेरे पैरों से खून नहीं बहे

मेरे पैर नहीं थके

क्योंकि ये थक चुके हैं

बह चुके हैं

उन सभी दौड़ो में

जिनमें मैं हारता रहा

अब नहीं उकेर पाएंगी इन्हें

धरती की खुरदुरी परतें

बल्कि अब धरती को

सहेजने होंगे

मेरे पैरों के चिह्न

क्योंकि यही है कि

जब कोई दोबारा उठता है न

बहुत मजबूत होता है.. 

बहुत.. 


जिन धक्को ने तुम्हें

पीछे धकेला है

उसे महसूस करना

महसूस करना

भागती हुई दुनिया में

खड़े हुए तुम

तुम देख पाओगे

ख़ुद को तैयार होते

तुम्हारी नसों में 

ज्वार बनते

अब नहीं रोक पायेगी

तुम्हें भीड़ की चट्टान

क्योंकि यही सच है.

जब कोई गिरकर दोबारा उठता है न

बहुत मजबूत होता है.. 

बहुत

-संदीप द्विवेदी 

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