स्वागत है
कविताएं सुनें भी..पढ़ें भी
मैं किसी की सुनता नही हूँ
तुम हर तरफ काँटे बिछा दो
कुछ बड़ी अड़चन लगा दो
जो राह मैंने थाम ली
बिन तय किये रुकता नही हूँ
सपनों की जब बात हो
मैं किसी की सुनता नही हूँ।
मेरा हारना तय है
तुम्हारा जीतना
ऊंचाइयां तेरी हैं
मेरा टूटना
लेकिन कभी ये बात भी
मेरे लिए मत भूलना
खेले बिना ही खेल में
हथियार मैं रखता नही हूँ
सपनों की जब बात हो
मैं किसी की सुनता नही हूँ
सच है पूरी उम्र भर
हासिल नही कुछ भी किया है
पर सुना है पाता वही है
जिसने सबकुछ खो दिया है
हारने का डर न कर
क्या हारना क्या जीतना
मंजिल मुझे मिल जायेगी ही
मैं अगर थमता नही हूँ।
किस्मत कहाँ तक साथ देगी
तुम अगर बैठे रहोगे
जो लिखा था मिल गया
बेवजह रटते रहोगे
जो नही देखा कोई
उन कागज़ों को तुम संभालो
रास्ते मैं ढालता हूँ
मैं रास्ते चुनता नही हूँ
सपनों की जब बात हो
मैं किसी की सुनता नही हूँ।।
-Sandeep Dwivedi
3 Comments
#Awesome
ReplyDeleteBig fan
ReplyDeleteThank you..
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